Sundar Bharat summary

 सुंदर भारत' कविता के कवि श्रीधर पाठक हैं। इस कविता में उन्होंने भारत माता के प्राकृतिक एवं दार्शनिक सौंदर्य का चित्रण किया है। कवि का कहना है कि भारत देश की शोभा निराली है। माथे पर हिमालय का मुकुट है। चरणों में सागर भारत की शोभा में चार चाँद लगाते हैं। हृदय में शीतल, श्वेत, पवित्र नदियाँ खेलती हैं। 



उनके कारण भारत की प्राकृतिक छटा और बढ़ जाती है। भारत देश बहुत सुंदर लग रहा है। इसका यह सौंदर्यपूर्ण वैभव सबका मन अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इसके आँचल में सुंदर उपवन हैं। यहाँ सघन वन है। यहाँ की पुष्प वाटिकाएँ अत्यंत सुखदायक हैं। 



यहाँ की वर्षा ऋतु की शोभा भी निराली है। खेतों में काम करते किसानों की प्रणाली भी अत्यंत दर्शनीय है। भारत कृषि प्रधान देश है। यहाँ की फसलें धरती की शोभा बढ़ाती हैं, जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। कवि कहते हैं कि यहीं देवलोक है और यहीं सुखों का सागर भी। यहाँ के लोग बड़े सज्जन हैं। 


यहाँ की प्रकृति की स्वाभाविक सुंदरता सबके मन को हरती है। भारत-भूमि पवित्र है। यह धर्मनिरपेक्ष देश है। यहाँ सब लोगों को अपने-अपने धर्म के अनुसार रहने की स्वतंत्रता है। यहाँ की प्राकृतिक शोभा अत्यंत सुखदायक है। यहाँ धरती पर ही मोक्ष प्राप्ति का अनुभव किया जा सकता है। भारत भूमि अनेक लोगों व अनेक देशों के जीवन का आधार है। मैं इसकी बार-बार वंदना करता हूँ।

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